Sunday, April 9, 2023

सोलो साइकल यात्रा कोविड में दिल्ली से ऋषिकेश का वर्णन

 23 अक्तूबर 2020 की सोलो साइकल यात्रा दिल्ली से ऋषिकेश का वर्णन 
भाग एक - कोविड काल 

ये वो कोविड काल था, जब सम्पूर्ण लॉकडाउन समाप्त हो चुका था, लेकिन आंशिक कर्फ्यू अभी भी लगा हुआ था, बाहर तरह तरह की बंदिशे लगी थी, इन् दिनों लोग तो एन्जॉय कर रहे थे, पर सरकार मानो कलपी पड़ी थी, रोज किसी न किसी बात पर नया बैन लग रहा था, एक राज्य से दूसरे राज्य जाने की मनाही थी, जाओ भी तो ई-पास एप्लाई करो, उनका मन हुआ तो पास देंगे, वरना बैठो घर, उसके बाद भी आर. टी. पी. सी. आर. आवश्यक था, पॉजिटिव आ गए जिसके चांस अधिक थे, तो खुद तो कोठरी में बंद हुए ही हूए, पूरी गली, मोहल्ले को लॉक करवा दिए, आस पास के एरिया में भी घूमते हुए लोगो को डर लगता था ऐसे ऐसे विडियो मार्केट में आये हुए थे! कि अन्दर तक भय समाया हुआ था, बिमारी के नहीं पुलिस की पिटाई के |


जगह जगह पुलिस के बैरिकेड्स लगे हुए थे |  कुछ गलियों को तो सील कर दिया गया था बाकायदा, 

बस सुना करते थे, कि उनमे से किसी घर में कोई कोविड पॉजिटिव मिला है, ऐसे घरो वाली गलियों को टीन टप्पर लगा कर सील कर दिया जाता और बाहर दो पुलिस वाले तैनात, कुल मिलाकर फुल लॉकडाउन तो खुल गया था पर खौंफ का माहौल हर तरफ बनाया हुआ था,  घर से बाहर निकलो तो अलग सी ख़ामोशी छाई रहती थी |


ये भय ख़ामोशी सब घर के बाहर था, घर के अन्दर का सीन कुछ अलग ही चल रहा था ...अनुभूत तो आप सभी ने भी किया है, पर पढ़िए मेरे शब्दों में.. 


इधर भारतीय परिवार भिन्न भिन्न तरीकों से कोविड से लड़ रहे थे, किसी के अन्दर का संजीव कपूर जागा तो किसी का मोहम्मद रफ़ी,  कुछो में एम्. ऍफ़. हुसैन की आत्मा आ गई, और हर घर में एक कॉल सेंटर खुल चुका था, सुबह सवेरे से मोबाईल की रिंगटोन बजने बजाने का सिलसिला शुरू हो जाता था, मजे की बात ये कि जो पीढ़ी मोबाइल के विरुद्ध रहा करती थी उन्होंने इस समय इसका भरपूर उपयोग किया, पापड़, कचरी व् अचार की रेसिपी शेयर  से लेकर कोविड के देसी इलाज यहीं खोजे और बांटे जा रहे थे, कौन ऐसा बचा जिसने कोविड की पहली वैक्सीन भारतीय काढ़ा न पिया हो,  हर इंसान अपने बनाए जुगाड़ों को विवेचित करने में ज्यादा दिलचस्पी ले रहा था, हम तो ये कर लेते है, हमारा ये तो ये कर लेता है, हमने तो ये कर रखा है ... यही सब चल रहा था फ़ोन पर ... 


इधर उन उन भूले बिसरे दूर तलक के रिश्तेदारों, दोस्तों तक को फ़ोन कर डाले जिनके रिश्ते शब्द में नहीं, वाक्य में बोले जाते हैं , रोज सुबह शाम इतने कॉल किये जाते थे, कि फ़ोन कंपनियों का सर्वर भी सुबह और शाम बैठ जाता था | 


भाग दो – मित्र 


आदित्य भाई मेरे अच्छे मित्रो में से हैं, वैसे तो उनसे साइकल राइड को लेकर हर दूसरे हफ्ते बात हो जाया करती है, किन्तु उनकी एक आदत है, वो कभी कभी गायब हो जाते हैं, हफ्तों महीनो के लिए, क्योंकि वो बड़े वाले घुमक्कड़ है, उनका घुमक्कड़ी का तरीका ये है वो अपनी कार उठाते है, उसमे डालते है राशन पानी, कार की पिछली सीट को बेड में कन्वर्ट कर लेते है, और किसी भी जगह पर फिर महीने के लिए जा कर टिकते हैं, कभी कार में रुकते है, तो कभी होटल में| 


एक शाम मैंने अपने मित्र आदित्य भाई को फ़ोन किया, आपसी कुशलक्षेम के पश्चात उन्होंने बताया 


“मैक्स भाई मैं ऋषिकेश में हूँ, काफी दिनों से, कंपनी ने वर्क फ्रॉम होम कर दिया दो तीन महीनो के लिए तो मैंने इसका फायदा उठाया सोचा जब घर से ही काम करना है तो घर तो कहीं भी हो सकता है तो  इस लॉकडाउन के लगने से पहले ही यहाँ ऋषिकेश में एक घर किराये पर ले लिया है, तपोवन में ऊपर कि तरफ झरने के बराबर में, झमझम आवाज आती रहती है हर समय, गाडी में सारा राशन और लैपटॉप वैगरह डाल के यहाँ डेरा डाल दिया है, एक रूम है किचन है, गैस बर्तन सब है, खुद बना रहा हूँ खा रहा हूँ, रोज शाम को पैदल वाक् पर नीम बीच हो आता हूँ, बस अपना तो यही चल रहा है , तुम बताओ दिल्ली के क्या हाल है ?


ये सुनकर मुझे तो ईर्ष्या कम रोमांच हो आया, क्या जिंदगी चल रही है भाई की कोविड काल में भी फुल मौज, दिमाग है भाई दिमाग! | 


खैर मैंने भी उन्हें बता दिया आजकल दिल्ली ऐसी हो रखी है, जैसी कभी नहीं थी साफ़ वातावरण, कोई ट्रफिक नहीं, सड़कों पर मोर नाच रहे हैं, न जाने कौन कौन से विदेशी पंछी छतों की मुंडेर पर दिख रहे हैं! कुछ जगह तो सुना है हिरण भी आ गए है! लगता है अब बस शेर चीता और रह गया है, और हम दिल्ली की ट्रफिक विहीन सड़कों पर पुलिस को कभी चकमा दे, तो कभी मासूम चेहरा दिखा के दबा के साइकलिंग कर रहे हैं, पूरी दिल्ली छान दी है कुछ बचा है नहीं, मेरे लिए अब यहाँ | 


तो फोन के दूसरी तरफ से उनकी आवाज़ आई  

“तो इधर आ जाओ” 

कानों में ये वाक्य सुनते ही मन में लड्डू फूटा, अँधा क्या चाहे दो आँखे,

मन बोला चला जा बेटा ये मौका फिर न मिलेगा, भोले बाबा की नगरी बुला रही हैं और क्या चाहिए तुझे |


तुरंत गूगल मैप खोला डाला, डेस्टिनेशन में डाला तपोवन ऋषिकेश, जिसकी दूरी गूगल बाबा ने दिखाई 237 किलोमीटर, अभी तक इतनी लम्बी यात्रा एक दिन में मैंने साइकल से नहीं की थी |

सौ, एक सौ बीस तो न जाने कितनी बार कर चुका था, पर मुझे अपनी टांगो पर पूरा विश्वास था कि मैं कर लूँगा, तो मन में निश्चय कर लिया कि चला ही जाए, सौ डेढ़ सौ किलोमीटर तो टाप ही लेता हूँ, साठ सत्तर किलोमीटर ही एक्स्ट्रा है फिर पूरा दिन है मेरे पास, आराम आराम से चलूँगा, रुकता रुकाता पहुँच ही जाऊँगा 


एक बार फिर भी मित्र से सलाह लेने के नाते मैंने उनसे पूछा 


“कैसे आना होगा?  मैं तो साइकल से आऊंगा आपको पता ही है”


“उन्होंने कहा ई पास बनवा लेना, मैं भी वही बनवा कर, यहाँ आया था”


अब मैं तो कल परसों में ही निकलने का सोच लिया था अपने मन में, तो  मैंने बता दिया कि, मैं तो एक दो दिन के अन्दर में ही आऊंगा तो ई पास 

तो बन लिया ... 


उन्होंने कहा “देख लो! .. जब मैं आ रहा था तो कार और बाइक वालो को तो लौटा रहें थे यहाँ के बोर्डर से,  चेकिंग काफी टाईट है, मेरे पास तो ई पास था, तो जाने दिया, अगर पास बन जाए तो अच्छा, वरना देख लो कहीं दिक्कत न हो जाए”


खैर पास नहीं बना, एप्लाई ही नहीं किया बनता कहाँ से 


भाग तीन –  होय वही जो राम रचि राखा 


पहली सोलो यात्रा थी तो अन्दर ही अन्दर घबराहट तो उमड़ उमड़ कर आ रही थी, ऊपर से साइकल से जाना वो भी कोविड काल, बिना ई पास के जाना, मन में ख्याल भी आ रहा था की उत्तराखंड के बोर्डर पर पहुँच गया हूँ और जगह जगह पुलिस है और मुझे पकड़ लिया गया है, और पूछताछ चल रही है कहाँ से आया है? क्यों आया है ?


ऐसे समय पर माता सती और शिव जी के बीच हुआ प्रसंग याद आया, 


होइहि सोइ जो राम रचि राखा । को करि तर्क बढ़ावै साखा


  माता सती को विश्वास नहीं हुआ, कि राम ही परम ब्रह्म है, तब भगवान् शिव ने उनसे कहा, होता वही है जो राम ने रच रखा है जो होगा, उन्ही के निमित्त से होगा अब तुमसे कौन तर्क कर बात बढाए, 


वैसे इस दोहे से ये तो पता चलता है आदमी कितना ही ज्ञानी ध्यानी हो, देवो का देव महादेव हों आदिकाल से स्त्री से बहस करने से बचता ही है|


तो मैंने भी यात्रा को “होए वही जो राम रचि राखा पर छोड़ा” और जाने की तैयारी शुरू की,

बैगपैक ले लिया, दो जोड़ी कपडे रखे सर्दी के रख लिए, बात अक्तूबर माह की है, हल्की ठण्ड तो थी सुबह शाम की और ऋषिकेश में और अधिक होगी ये भी मन में था, पॉवर बैंक रख लिया, ब्लूटूथ स्पीकर रख लिया,  बैग को साइकल की ख़राब ट्यूब से करियर पर टाईट से बाँध दिया, पंचर किट, हवा भरने का पम्प भी रख लिया,


उस यात्रा में मैंने गिनी चुनी फोटो ली, अच्छे से सेल्फी तक न ली, लेकिन उस समय की सामान सहित साइकल की फोटो जो मैंने जाने से पहले ली थी और एक फोटो हरिद्वार में ली, वो मैंने डाली हुई है आप  देख सकते हैं |


सुबह सवेरे जल्दी निकलने का विचार था, अँधेरा होगा ही , तो साइकल की आगे पीछे की लाईट रात को ही चार्ज कर ली, 

जितने भी लोग साइकलिंग करते हैं या करने का विचार कर रहे हैं मैं उन सभी से कहूँगा कि आप अपनी साइकल में आगे पीछे लाईट अवश्य लगाए और हेलमेट भी हमेशा पहने, अँधेरे में तो लाईट लगाए ही, हल्का उजाला होने पर भी लगाए, पीछे से आने वाले वाहनों का ध्यान उस ब्लिंक करती लाईट पर चला ही जाता है तो वो स्वत: ही आपको बचा कर निकलेगा या गति धीमी कर लेगा 


इधर मैंने साथ में मनोरंजन के लिए अपना ब्लूटूथ स्पीकर भी चार्ज कर के रख ही लिया था, रास्ता चाहे जितना बेहतरीन हो अगर उस रास्ते में किशोर दा की गोल्डन आवाज में “मुसाफिर हूँ यारो” या लकी अली का “शामों सहर” भी सुनने को मिल जाए तो सफ़र का मजा दुगना हो जाता है| 


अब पेट पूजा की बात, इधर सम्पूर्ण भारत वर्ष में कोविड काल को आपदा काल न समझ एक उत्सव की तरह मनाया जा रहा था,  भारत के हर घर में रोज पकवान बन रहे थे, पूरे देश में मैदा, चिकनाई को निबटाने का जैसे अभियान छिड़ा हुआ था, जिसने कभी रसोईघर की तरफ कदम न बढाया था, वो भी मास्टर शेफ़ बने हुए थे | इसी क्रम में अपने भी घर में एक दिन पहले ही मटर छोले कुलचे बने थे, तो उन्ही बचे दो कुल्चों के बीच मटर छोले लगा के अपन ने रोल बना के पैक कर लिए, घर के किसी सदस्य का एक्पेरिमेंट में बना एक दो दिन पुराना वाइट क्रीम पास्ता भी एक छोटे टिफिन में रख लिया |


भाग चार – घर 


सबसे कठिन काम होता है परिवार जन की अनुमति लेना, पर ये हमारे अपने खुद के हाथ में होता है, निर्भर करता है आप कैसी इमेज बना कर रख रहे हैं घर पर, अब आप खुद ही बच्चो जैसी हरकते करोगे, तो घर वाले क्या ही भेजेंगे, 

इमेज अच्छी बनाओ, घर वाले कभी नहीं रोकेंगे, घंटे दो घंटे अपने परिवार जन के साथ बैठो उनसे गंभीर विषयों पर वार्तालाप करो, और थोड़ी बुद्धिमता के विचार उनके सामने रखो.. कैसे लोग गलत काम कर लेते हैं...कैसे कैसे नशे आजकल लोग कर रहे है, पता नहीं युवा पीढ़ी को क्या हुआ है, और अंत में सबसे आवश्यक ”उच्छृंखलता” इससे दूर रहना चाहिए ये अपने परिवार जन को विश्वास दिलाना अत्यंत आवश्यक है, कि मैं ”उच्छृंखल” नहीं हूँ, और हाँ घर पर हर समय बच्चो जैसी हरकतें करना बंद करो, तभी कुछ हो पायेगा, मेरी जानकारी में बड़ा प्रतिशत ऐसे लोगो का  हैं कि जिन्हें उनके घरवाले कहीं भी भेजने से मना ही कर देते हैं उसके जिम्मेदार वे खुद हैं उन्होंने स्वयं ये इमेज बनाई है | 


खैर मैं मुद्दे से भटक गया, ज्ञान पेलने लगा, यहाँ बड़े बड़े ज्ञानी है और मुझे तो उनसे ज्ञान लेना चाहिए घुमक्कड़ी पर,  क्षमा 


अभी एक और विकराल कार्य था जो मुझे सिद्ध करना था, वो था “माँ” को बताना, मेरी माँ के बारे में मैं आपको बता दूं वो संगीत से शिक्षित, साहित्य में घनघोर रूचि वाली है, और वो गृहणियों वाली सारी कलाओं में हस्तसिद्ध हैं, ऊपर से सरल नहीं हैं, पर जैसा कि मैंने ऊपर बताया मेरी इमेज अच्छी है, तो काफी हद तक मैं विश्वस्त था, पर ये बात सार्वभोमिक सत्य है, आप चाहे अपने जीवन में कितने ही बड़े पद पर क्यों न पहुँच जाए, कितनी ही उपलब्धिया प्राप्त कर लें या आपकी कितनी ही उम्र हो जाए, आपको भले नोबल पुरस्कार मिल जाए, आप प्रधानमंत्री बन जाए पर माँ माँ है, और उनको आपकी चिंता रहती है .. पूरे ब्रह्माण्ड में एक यही प्रेम शाश्वत सत्य है |


घर पर माँ को बोला  "अम्मा मैं ऋषिकेश जा रहा हूँ " 

माँ ने कहा  " ऋषिकेश ! कब कैसे किसके साथ क्यों" 


अम्मा ने सारे प्रश्नवाचक अव्यय एक पंक्ति में समाहित कर वाक्य पूर्ण किया, इस तरह कि भाषा विन्यास का गौरव या तो हिंदी भाषा को प्राप्त है और सर्जन का हिन्दुस्तान की महिलाओं को 

 

कब का जवाब आसान था  "कल "


कैसे का जवाब थोडा भारी  " साइकल से" इसे सुनकर पूरी यात्रा ख़तरे में पड़ गई, मुश्किल को थोडा हल्का किया, हल्के से ये बोलकर “कि चला जाऊँगा कोई बड़ी बात थोड़े है”


किसके साथ  "अकेले" अगर ये बोल देता 

और माँ को ये बताता कि अकेला जा रहा हूँ, वो भी कोविड में, तो जाना असंभव था, बिना चिल्लम चिल्ली जाना था, इसलिए महाभारत के सांतवे पर्व  का द्रष्टन्त लिया "अश्वत्थामा हतोहतः, नरो वा कुञ्जरोवा


सो मैंने भी बोल दिया  "जा रहा हूँ आदित्य भी होगा वहां" 


बाकि बड़े भैया को बता दिया था, सब सच सच 


भाग पांच - निंद्रा 


तो वो रात आ गई, अगली सुबह निकलना था रात आँखों में ही कट गई, नींद भी आने का नाम नहीं ले रही थी, एक या दो बजे झपकी लगी तो पहुँच गया ऋषिकेश, 

मैं खड़ा हूँ और चारो तरफ आकर्षक पहाड़, कभी मैं किसी पहाड़ कि चोटी पर खड़ा हूँ तो कभी मैं गंगा किनारे पहुँच गया, गंगा मैया का प्रबल प्रवाह, इतने सुन्दर मनोहारी द्रश्य में पीछे से पुलिस वाला आ गया, यहाँ क्या कर रहा है? बे..किसने आने दिया? पता नहीं है कोविड चल रहा है...


खैर नींद और स्वपन के ऊपर रिसर्च कर के मैंने सूत्र बनाया है कि सपने में होने वाली क्रियाएं और वास्तविक में सोये शरीर में एक  लगभग मिलीमीटर बराबर एक मीटर है, और एक मिलीमीटर से अधिक हिले तो मतलब अनंत दूरी तक जा सकते हो, अर्थात अगर मैं स्वपन में एक कदम रखता हूँ तो पैर का अंगूठा जरा सा हिलेगा और हमें स्वपन में वास्तविक एहसास होगा कि हमने कदम रख दिया है, इस बात को गंभीरता से न ले लेना...ऐसी मजेदार खोजें मैं हर दिन रात करता रहता हूँ 😊


खैर, ऐसे ही जैसे ही  गंगा तट वाले उस पुलिस वाले ने मुझे डंडा मारा तो मुझे शरीर में झटका सा लगा और बिस्तर पर पड़े पड़े, मैं सच में हिल गया और नींद टूट गई,  पानी पिया, मोबाइल, व्हाट्सएप चेक किया, आँखों में ही वो रात कटी, सुबह एक दो झपकी लगी भी पर फिर सुबह तीन बजे के अलार्म ने वो झपकियाँ भी तोड़ दी  |



भाग छ – प्रारंभ 


अब मुझे तैयार होना था, सर्दी का समय था तो अच्छे से कपडे पहन लिए 


ताजा पानी बोतल में भर कर साइकल में बोटल स्टैंड में लगा दिया आगे पीछे की साइकल लाईट फिट की, और सुबह चार बजे गेट खोला और प्रस्थान किया, माता ने गेट बंद करने से पहले बोला 

“ध्यान से जाइयो”

ये बात माँ ने इसलिए बोली, वो जानती मेरे मन की उथल पुथल, पर वो संमय ऐसा था यदि मैं एक प्रतिशत भी अपनी घबराहट प्रदर्शित कर देता, अगर मेरी आवाज जरा सी भी लड़खड़ा जाती या चेहरे पर कोई भाव दिख जाता तो कोई न जाने देता मुझे, इसलिए उस समय थोडा कठोर बन कर रहा, और द्रढ़ता से बोला “हाँ हां, आप चिंता मत करो” कहकर साइकल मैंने जूते की सहायता से पेडल ऊपर किया और अपने पूरे शरीर का भार पैडल पर डाल के साइकल पर सवार और दूसरे ही पल मेरी साइकल गली से बाहर थी |


साइकल चलाने में वैसे तो बहुत सी अच्छी बातें है पर एक बात ये है कि जब आप साइकल चला रहे होते हो, तो एक तो आप दुखी नहीं होते, शायद इसका कारण ये है कि दिमाग का कुछ हिस्सा पैडल मारने, बलेंस बनाए रखने में लगा रहता है और कुछ हिस्सा लक्ष्य की ओर और कुछ रास्ते कि ओर, दुःख की तरफ दिमाग जाएगा कहाँ से... ये सब मेरी अपनी थ्योरी है, वैसे वैज्ञानिकों ने ये सिद्ध किया है और बताया है कि साइकल चलाते संमय हमारे शरीर में रक्त का प्रवाह और ऑक्सीजन बेहतर रहता है तो दिमाग शांत अवस्था में रहता है, एक और बात जो उन्होंने बताई और मैंने खुद भी महसूस की, जब भी मैं साइकल चलाता हूँ तो आनंद का अनुभव करता हूँ उसका कारण है साइकल चलानें से एरोबिक एक्टिविटी होने से  एंडोर्फिन हार्मोन का हमारे शरीर में रिलीज होना, जो हमें आनंद का अनुभव प्रदान करने का कारक है  


सर्दी में वैसे भी इतनी जल्दी उजाला कहाँ होता है, तो काफी अँधेरा था, रात ही समझ लो, 

इधर गली से निकलते समय, ठण्ड की वजह से आलस में किसी कुत्ते ने भी नहीं भोंका, सर्दी में कुत्ते भी गलियों के किसी कोने में घुसे रहते हैं, या यूँ कहें कि उन्हें भी इतनी सर्दी लग रही होती है कि वे भोंकने का आलस कर जाते हैं जबकि गर्मियों में ऐसा नहीं होता, लपक लपक कर साइकल के पीछे पैर पकड़ने को भागते हैं सुसरे | तो इसी ठंडी अँधेरी सुबह में मैं निकल पड़ा था, सुनसान सड़कों पर अकेले 


भाग आठ –  नहर के किनारे किनारे 


पहला बोर्डर उत्तरप्रदेश का पड़ता, खबरों में तो सुन रहे थे कि जाने नहीं दिया जा रहा, 

मैं पूर्वी दिल्ली, शाहदरा रहता हूँ ,तो जा तो हिंडन हवाई अड्डे की तरफ से भी सकता था, जो कि छोटा पड़ता लेकिन वो रास्ता मुझे पसंद नहीं, तो  गाजीपुर से ऊपर चढ़ गया, पुलिस वाले थे, पर वहां मोर्निंग वाक करने वाले और साइकल चलाने वालो का क्रेज चला हुआ था, कोविड काल में, तो उसका लाभ मुझे वहां मिला, किसी ने मुझे वहां नहीं रोका,फिर  मैंने राजनगर एक्सटेंशन का रास्ता पकड़ा, राजनगर एलिवेटेड रोड के द्वारा, जो दूरी में भोपुरा वाले रस्ते से उससे अधिक था, और अँधेरे अँधेरे में चलता हुआ, मैं पहुंचा मुरादनगर की नहर जिसे छोटा हरिद्वार भी कहते हैं, यहाँ हम प्राय: आते रहते हैं साइकल से.. आते हैं नहाते हैं, तो ये एरिया मेरा देखा हुआ था .. वहां से मेरे सामने दो रस्ते थे, मैंने वहां से नहर के साथ वाला रास्ता लिया, क्योंकि मैंने सुना था कि ये रास्ता काफी सुन्दर है, शांत है|


और सच में रास्ता काफी सुन्दर था सीधी सड़क, बराबर में गंगाजी मानो हाथ पकड़ कर रास्ता दिखाते हुए साथ साथ चल रही थी, किनारों पर कहीं कुशा घास तो कहीं सरकंडे उगे हुए थे, 


इसी मार्ग पर मैं तेजी से आगे बढ़ रहा था कि पीछे से ट्रक तेज आवाज करते हुए तेज स्पीड में साइकल के एक मीटर के भीतर दूरी से गुजरा, एक बार को आत्मा काँप गई,  सड़क बनी अच्छी हुए है तारकोल की पर सिंगल रोड है, कोई डिवाईडर नहीं जिसका जहाँ मन करे चलो और एक बार जो ये ट्रकों का आने जाने का सिलसिला शुरू हुआ तो खतम होने का नाम न ले, अच्छा खास अँधेरा था, तो कोई कुचल के चला जाता तो कोई बड़ी बात न थी,


मनुष्य कठिन कार्यों को करने के लिए योजनाये तो अपनी बुद्धि से बनाता है पर समस्याओं का वास्तविक सामना होने पर ये धरी की धरी रह जाती हैं तब ईश्वर ही याद आते हैं, जो हमें धैर्य प्रदान करते हैं और धैर्य रख कर समय बीतता है, और समस्याएं भी सुलझ जाती है, हमने भी राम राम, शिव शिव का स्मरण किया, और भोले की झाल के आस पास कोई गाँव आने तक उजाला हो चला और साथ ही ट्रकों का आना जाना भी समाप्त हो गया ज्यादा उस मार्ग की जानकारी तो नहीं परन्तु वहां कही से कोई रास्ता कटता है जिधर सारे ट्रक मुड जाते हैं |


ये मेरे लिए वरदान सिद्ध हुआ, उजाला निकल चुका था और मैं लगभग साठ से सत्तर किलोमीटर आगे आ चुका था मेरठ पार कर चुका था , तब तो हर गाँव का नाम पढ़ते हुए जा रहा था पर अब याद नहीं | 


बीच में एक दो बार टॉयलेट करने के लिए साइकल रोकी, पानी पिया पर ढंग से से कहीं नहीं रुका, यहाँ का प्लान बनाते समय मैंने सोच लिया था कि मैं पहला ब्रेक सौ किलोमीटर पर लूँगा, अगर पहला ब्रेक सौ पर लिया तो आराम से पहुँच जाऊँगा, मैं काफी तेजी से आगे बढ़ रहा था लगभग पच्चीस किलोमीटर प्रति घंटा, साइकल के हिसाब से काफी थी और क्योंकि लम्बा जाना था तो उर्जा भी बचा कर रखनी थी.. 


मुजफ्फरनगर पर आदित्य भाई का फ़ोन आ गया कहाँ पहुंचे मैंने बता दिया मुजफ्फरनगर पर हूँ उन्होंने कहा काफी तेज चल रहे हो आराम से आओ, ज्यादा हुआ तो मैं गाडी लेकर बोर्डर पर आ जाऊँगा साइकल गाडी में डाल लेंगे इस बात ने दिल को बड़ी तस्सली दी पर ऐसा करना नहीं था तो स्पीड वही रही |


अब उजाला धूप में परिवर्तित हो चला था,  साइकल चलाते चलाते पसीना आने लगा था, तो रुक कर ऊपर की विंड चीटर उतार दी , ठंडी ठंडी हवा लगी तो मजा आनें लगा, अब मौसम खुशनुमा था और रास्ते पर उस लेवल का ट्रैफिक नहीं था, तो मैंने ब्लूटूथ स्पीकर ऑन किया, अपनी पसंद के गाने चला लिए और गानों की धुन और अपनी धुन  में झूमता हुआ मैं आगे बढ़ चला | 


नदी किनारे चलते चलते एक दोराहा आ गया वहां एक दुकान कम घर दिखा, जहाँ एक वृद्ध जोड़ा घर के काम निबटा रहा था, मैं कंफ्यूज था कि किस तरफ जाना है तो उन्ही बाबा से पूछ लिया 


बाबा हरिद्वार जाने का रास्ता कौन सा है, उन्होंने कहा गंगा किनारे ही चलता जा, पीछे से अम्मा ने डपट दिया बाबा को, उधर सारा रास्ता टूटा पड़ा है कैसे जाएगा, भैया इधर वाले रास्ते से चले जाओ, वहां से चले आना, बाबा की हिम्मत न हुई कुछ बोलने की, वो अपने काम में लग गया और मैं फिर आगे बढ़ गया 


आगे जा कर मैंने गावं के दो लोग आते देखे उनसे भी कन्फर्म करना उचित समझा, तो उन्होंने भी यही कहा इधर चले जाओ आगे टोपा टॉप हाइवे है 


आगे न जाने कौन सा गाँव था हाइवे चकाचक था और मैं साइकल भागाये जा रहा था तभी अचानक सोंधी सोंधी गुड़ बनने की खुशबु आई आगे जाते हुआ देखा इस रोड पर जगह जगह गुड़ बनाया जा रहा था|


भाग नौ – पुलिस को चकमा 


जगहों के नाम और दूरी में मैं थोडा भ्रमित हो गया हूँ गलतियों को क्षमा करना बाकि इसी क्रम में उत्तराखंड का बोर्डर आ गया और वही हुआ जिसका डर था, एक ही रोड थी और आगे उतराखंड पुलिस के बैरीकेड्स एक तरफ एक टेंट भी लगा हुआ था, उसके बाद रोड दो तरफ जा रही थी दाए और बाएं, बेरिकेड्स के दूसरी तरफ और इधर पुलिस  खड़ी थी दो पुलिस वाले एक कार को रोके खड़े थे दिल्ली नंबर, और हरियाणा नंबर की गाड़ियों को रोका जा रहा था यु.के. नंबर की गाड़ियाँ बिना रोक टोक के जा रही थी, खैर रिस्क न लेते हुए मैंने वहां अपनी साइकल को फूटपाथ पर चढ़ाया और फूटपाथ से बैरीकेड्स के बराबर से निकालता हुआ दाए जाऊ कि बाएं सोचता हुआ बस बाएं मुड गया होगा जो देखा जाएगा, २ मिनट तक आँखे सामने थी और कान पीछे, कि अब आई आवाज पुलिस की, पर वो व्यस्त थे कार वालो के साथ अब मैनें आगे जा कर पूछा बाबा हरिद्वार का रास्ता यही है उसने कहा गलत आ गए दूसरी तरफ है, अबकि बार मैं उन्ही पुलिस वालो के सामने से निकल कर गया पर अब डर नहीं था क्योंकि मुझे लगा अब तो मैं इसी बोर्डर के अन्दर हूँ, अब किस बात का डर, खैर कुछ हुआ ही नहीं मैं आराम से निकल गया 


साइकल चलाते चलाते दो बज आये थे मैंने एक भी ब्रेक नहीं लिया था अब तक अब एक जगह आई जहाँ मुझे दोराहा दिखाई दिया, और साथ ही एक चाय की टपरी, वहां मैंने पहला ब्रेक लिया भूख प्यास वैसे तो जाने के रोमांच में गायब थी पर जब बैठा और चाय का पहला सिप लिया तो मन किया अब बस पीता रहू वहां बेंच पर बैठ कर एक नहीं दो चाय पी और साथ में लाये हुए कुलचे रोल खाए, साथ लगे नल से मुहं धोया फिर चाय वाले से रास्ता पूछ कर आगे बढ़ा रूडकी वगरह क्रोस कर लिया 


भाग दस – हरिद्वार 


उसके बाद साइड में जंगल आने लगे, बोर्ड लगे नजर आने लगे जिन पर लिखा था गुलदार से सावधान, देखकर बड़ा रोमांचित महसूस हुआ वही एक पेड़ पड़ा था, मैंने फिर वहां रुक कर उस पेड़ पर बैठ कर, घर से लाया पास्ता खाया और फेसबुक लाइव किया, बीच में फिर एक जगह पेट्रोल पम्प दिखा तो वहां से पानी पिया और पानी की बोटल भरी, पैसा कायकू खर्च करना 


वहीँ कहीं मैंने मेरी फिटनेस वाच का जो मैंने उस दिन फोटो खींचा था जो मैंने यहाँ भी डाला है, उसके अनुसार मैं 188 किलोमीटर 2 बजकर 17 मिनट तक पूरा कर चुका था, हरिद्वार मेरे घर से दौ सो है तो यानि लगभग 2:30 बजे तक मैं हरिद्वार पहुँच गया था |


तत्पश्चात मैं फिर बढ़ चला, थकान बिलकुल नहीं लग रही थी, फिर तो हरिद्वार आ गया हरिद्वार का वो पुल जहाँ से ॐ वाला पुल दिखाई देता है, पहाड़ दिखने लगते हैं, इस जगह पहुँच कर अन्दर से फिलिंग आ गई कि पहुँच ही गया अब तो, दिल एक दम प्रफुल्लित हो गया था, वहां रोक कर साइकल साइड में लगा कर एक फोटो ली और फिर आगे बढ़ चला मन तो बहुत था कि हरिद्वार में रुकू, लेकिन मेरा लक्ष्य उस दिन ऋषिकेश पहुंचना था समय से | लगभग चार बजे मैं ऋषिकेश पहुँच गया था, वहां से मैंने सारा ऋषिकेश शहर पार किया और तपोवन की तरफ बढ़ चला 


पहाड़ पर अब चढ़ाई आनें लगी थी और अब मुझे थकान सी होने लगी थी, बीच रास्ते में गुरुद्वारा आया, पर अब मैं आदित्य भाई के बताए लैंडमार्क को देख रहा था, कि तभी मुझे इतनी साइकल टाईट चलती महसूस हुई कि मेरी इस पूरी यात्रा में थकान नहीं हुई उतनी उस १५ मिनट में हो गई पसीने टपक गए चेहरे से टप टप पसीना टपक गया, आगे बढ़ते बढ़ते अब बसावट भी कम् होती जा रही थी, तो मैंने एक पुलिस वाले से पूछा तपोवन कहाँ है उन्होंने कहा पीछे रह गया, ओहो...... जोश जोश में मैं आगे आ गया ... भाई अब मैं थक चुका था अच्छे से, अब बस बिस्तर चाहिए था और नहाने को गरम पानी यही सोचते हुए सपने देखते हुए मैं बैगपैकर पांडा के आस पास पहुँच गया जहाँ आदित्य भाई ने मुझे बताया था वहां पहुँच कर मैंने उन्हें कॉल की कि मैं पहुँच गया हूँ अब बताओ कहाँ आना है, उन्होंने कहा एक काम करो इस ऊपर जाते रास्ते पर चढ़ते चले आओ, रास्ता सही है ये जान कर कि घर पास ही है मैं मंजिल पर लगभग पहुँच गया हूँ, फिर से थकान गायब हो गई और मैं साइकल को पैदल ऊपर ले जाने लगा, यहाँ चढ़ाई पहाड़ों की रोड से भी काफी ज्यादा थी | आजू बाजू घर, होटल और दुकाने थी उन्ही घर में से एक पहाड़ी बच्चा मुझे साइकल पैदल चढाते देख बोला, मैं तो चला के ऊपर ले जाता हूँ, ये सुनकर मैं उसकी तरफ देख मुस्कुराया और बोला शाबाश ... 


अंतत : आगे चल कर आदित्य भाई मुझे खड़े मिल गए,  और घर तक ले गए उन्होंने कहा काफी जल्दी आ गए, चलो अब आराम करो, हमने साइकल घर के बाहर लॉक से बाँध दी और बैग उतारा और बाकी लाईट, स्पीकर सभी को ऊपर रूम में ले जा के पटका, और जाते ही गरम पानी से नहाया, तशरीफ़ का दम निकला हुआ था...... खैर खूब नहा धोने के बाद मैं और आदित्य भाई बाते करने लगे, उन्होंने कहा क्या लोगे मैक्स भाई, सीधा खाना या चाय या कॉफ़ी, मैंने कहा न चाय न कॉफ़ी मैं खुद ले लूँगा किचन से जो मुझे चाहिए, मैं किचन में गया और एक बोटल में पानी भरा उसमे चार चम्मच चीनी डाली, एक चम्मच नमक और अच्छे से मिक्स किया उसके बाद बाते करते हुए सिप सिप करके वो द्रव्य पिया और वो पूरी रात में मैंने वैसे मिश्रण की दो, तीन  बोतले समाप्त की 


और अगले दिन यात्रा समाप्त से लेकर अगले दिन तक पूरे शरीर से जो गर्मी निकल रही थी, उसके लिए तपोवन के छोटे जलप्रपात में ठन्डे पानी में पैर डाल कर बैठ गया, , तो बरफ जैसे पानी ने टांगो को आइस बाथ वाला ट्रीटमेंट दिया जो अक्सर एथलीट वगरह लोग लेते हैं | 





Tuesday, November 6, 2018

Best Cycling Group East Delhi | East Delhi Cycling Group | Join Cycling Group East Delhi | Cyclopaths


Cyclopaths is best cycling group in East Delhi area , Cyclopaths is run by one of the Delhi’s most renowned cyclists, Every day 4:00 am to 6:00 am in morning, a group of cycling enthusiasts decides a route and rides for atleast 60 kms. Just get a bicycle and join this group of cycling fanatics



Make cyclopaths friend: https://www.facebook.com/cyclopathsdelhi/





Friday, October 5, 2018

google hindi ime tool offline installer Download | Download Google Hindi Indic Desktop Version






google hindi ime tool offline installer

Download Google Hindi Indic Desktop Version


Google Hindi input offline installer download for All Windows
32 bit and 64 bit windows Xp, Windows 7, Windows 8, Windows 10
64 Bit Windows पर इंस्टालेशन के लिंक यह हैं




http://www.mediafire.com/file/fi7wy7zxeafe4dy/GoogleInputToolsHindi.exe/file





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32 bit and 64 bit windows Xp, Windows 7, Windows 8, Windows 10
32 Bit Windows पर इंस्टालेशन के लिंक यह हैं



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oogle Hindi input full offline Microsoft Indic Hindi input installer downloads

Google Input tool offline full installer download





Google is not giving full Installers for Hindi and other languages. Every time installation by net necessary. This is good for Online Hindi typing with English keyboard but Offline Hindi typing with English keyboard is problem. So here are both Installer files Save Bandwidth Download and use on any computer Offline Installation, 

Our Installer is self extractor and Run Automatically with Double Click Two,Time Install process with Green Strip Now Check Task bar and Language Bar. Google Input is ready.







Friday, September 7, 2018

Top 10 Cycling Clubs of Delhi

Cycling saves the planet, beats illness, makes you look younger, increase your brain power, makes you happy, …., …, .., .
And we at hollaDelhi truly care about making Delhi green and a great place to live. Join one of below top cycling groups to make your city more beautiful and your weekend more productive, happy and healthy.

1. Cyclopaths Delhi 

CD is run by one of the Delhi’s most renowned cyclists,  Every day 4:00 am to 6:00 am  in morning, a group of cycling enthusiasts decides a route and rides for atleast 60 kms. Just get a bicycle and join this group of cycling fanatics
Make CD friend: https://www.facebook.com/cyclopathsdelhi/

2. Delhi Cyclists(DC)

DC is run by one of the Delhi’s most renowned cyclists, Gaurav Wadhwa. Every Sunday at 6 in morning, a group of cycling enthusiasts decides a route and rides for atleast 20 kms. Just get a bicycle and join this group of cycling fanatics
Make DC friend: https://www.facebook.com/delhicyclists

3. Pedal Yatri

Group of Serious cyclists started in Gurgaon, but is now spreading to other cities. They try and be consistent about doing a couple of 60-70km long weekend trails in the rural areas around Gurgaon at least 1-2 times a month.
Facebook Group: https://www.facebook.com/groups/pedalyatri/
Register here: https://spreadsheets.google.com/viewform?hl=en&formkey=dFVTVFpXODNQOE9YRnBDSlFnaU5KOVE6MA

4. Noida Cycling Club(NCC)

Club has of more than 2000 cycling enthusiast and gets 50 new members every month. Pay Rs. 100 and be a pround member of NCC. On weekend, crew assembles at either GIP mall or Akshardham Metro Station and rides all the way up to India Gate, Greater Noida or Terminal-3
Facebook Group: https://www.facebook.com/groups/cyclothon/
Membership form:https://docs.google.com/forms/d/1QM9JgjSUBT8nF8gZdBDsekuNzD7rB62P736WAYA0qXY/viewform?formkey=dEpuS19sQXdOMldPNDdOVEQ1c0dhZ3c6MQ

5. Delhi Randonneurs

You must join this group immediately of you think you are a pro cyclist and like long distance Cycling. They have a faculty of Randonneurs & they are pursuing taking ultra cycling in north-India to the next level.
Facebook Page: https://www.facebook.com/pages/Delhi-Randonneurs/295925683769363

6. Delhi Cycling Club(DCC)

DCC is a non-profit organisation dedicated to work towards making Delhi a cyclist-friendly city. The intention of DCC is to get bicycle lanes and bicycle parking in the city.
Facebook Group: https://www.facebook.com/groups/Delhicyclingclub/

7. Team Cyclofit

Group is run by Noida’s prominent bike shop Rajesh Cycles. This group is for the very beginner up to those who ride in the 25km/h -35km/h range. Group mostly gather for weekend and occasional weekday rides.
Facebook Group: https://www.facebook.com/groups/team.cyclofit.noida/

8. SpinLife India

Originated in Gurgaon this troop organizes outdoor cycle trips around town. Fitness is the primary focus. They also provide fitness guide and training as well.
Facebook Page: https://www.facebook.com/SpinLifers

9. Cycle Sutra

Group was started by https://www.facebook.com/ashishXnagpal, one of the most enthusiast cyclists of the city. Group now has over 4000 members. Every saturday and sunday ride begins from Max Hospital, Sector-19, Gurgaon at 5 A.M to different parts of Delhi. Objective is to explore the city.
Facebook Group: https://www.facebook.com/groups/cyclesutra/

10. *GODCE* ^Group Of Delhi Cycling Enthusiasts^

Group is run by Durga Cycles in Paschim Vihar. They organize a ride every sunday from their shop early in the morning to the greenest of town like Hauz Khas, India Gate & Lodhi Garden.
Facebook Group: https://www.facebook.com/groups/godce/


Thursday, June 14, 2018

How to cancel all friend request pending on Facebook?

Login with your details.
Now go to,
https://m.facebook.com/friends/c...
It will display all your pending sent requests.
Open "Inspect" by Right click on the same page.
Now Go to "console" in top tabs and hit below script.
javascript:var inputs = document.getElementsByClassName('_54k8 _56bs _56bt');
 for(var i=0; i<inputs.length;i++) {
 inputs[i].click();
}
That's all, all your requests open on that page will be deleted.
(Note: Just ensure to scroll down till all list gets over, this will delete all open requests on the page)
and then gone…
and use the console

Monday, January 22, 2018

बिजली कैसे बचाए | बिजली का महत्व | how to save electricity essay in hindi | essay in hindi how to save electricity

अगर आपसे पूछा जाए कि आज के समय में कौन सी चीज का डिजिटल दुनिया में सबसे ज्यादा महत्व है तो सभी किसी न किसी उपकरण या पद्धति का नाम लेंगे कोई इन्टरनेट कहेगा कोई मोबाइल कोई एंड्राइड तो कोई कंप्यूटर लेकिन क्या कभी किसी ने सोचा है कि इन सभी को सिर्फ एक चीज से चलाया जाता है अगर वो न हो तो ये सभी उपकरण पद्धति बेकार है वह चीज है बिजली, क्या हमने कभी ये सोचा है कि जो बिजली हम प्रयोग कर रहे है यह बिजली अक्षय उर्जा स्रोत नहीं है तो क्यों नहीं हम इसका सिमित और जरुरी उपयोग करें ताकि हम इसका लम्बे समय तक उपयोग कर पाए तो वो कौन से तरीके है जिनके द्वारा बिजली या विधुत को बचाया जा सकता है और सही उपयोग किया जा सकता है 

सबसे पहला तरीका है उन डिवाइस को बंद रखना जिनका हम प्रयोग नहीं कर रहे है लेकिन हम हमेशा यह काम भूल जाते है। हम रसोई में जाते है अपना खाना लेते है और लाइट बंद करना भूल जाते है, हम कमरे में जाते है पंखा चलाते है और कमरे से बहार आते समय कई बार पंखा बंद करना भूल जाते है। इसलिए अगर हम बिजली बचाना चाहते है तो हमे अपनी इन आदतों को बदलना होगा।

हमे अपने ज्यादातर काम दिन के उजाले में ही कर लेने चाहिए ताकि रात के समय लाइट को ज्याद देर न चलाना पड़े। किसी भी इलेक्ट्रिकल डिवाइस को बेकार में न चलने दे। हो सके तो एक आदत बना ले की कोई भी इलेक्ट्रिकल डिवाइस चालु करने से पहले अपने आप से प्रश्न करें "क्या सच में मुझे इस इलेक्ट्रिकल डिवाइस को चालू करने की जरूरत है?" ऐसा लगातार करने पर यह आपकी आदत बन जाएगी और आपको पता चल जाएगा कहा पर आपको वास्तव में इलेक्ट्रिकल डिवाइस चालू करने की जरूरत है।


इसके अलावा कुछ और भी आदतें है जिनको बदलने से हम बिजली बचा सकते है जैसे हम कभी कभी बिना किसी कारण के ही फ्रिज का दरवाजा खोलने लगते है और जब भी हम ऐसा करते है तो कुछ ठंडी हवा बाहर आ जाती है जिससे फ्रिज के अंदर ठंडा बनाये रखने के लिए और इलेक्ट्रिसिटी खर्च होती है। दूसरा उदाहरण है इलेक्ट्रिक आयरन यानि प्रेस का पुरे दिन में बार-बार प्रयोग करना इसकी जगह अगर हम सभी कपड़ो को एक ही बार में प्रेस कर ले तो हमारी बिजली बच जाएगी।

आजकल ऐसी कई इलेक्ट्रिकल डिवाइस आ गयी है जिनका प्रयोग करके बिजली बचायी जा सकती है जैसे साधारण बल्ब की जगह LED बल्ब प्रयोग करके हम बिजली बचा सकते है ऐसा करने से न सिर्फ बिजली की बचत होती है बल्कि घर की सुंदरता भी बढ़ जाती है।

हम जब भी लम्बे समय के लिए घर से बाहर जाते है तो चोरो से बचने के लिए घर में एक लाइट चालू करके जाते ही लेकिन यह लाइट रात के साथ साथ पूरा दिन भर भी जलती रहती है इसलिए बेहतर होगा की इसके लिए हम एक टाइमर प्रयोग करे जिससे यह लाइट केवल रात में जले और दिन में बंद रहे।